काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती,
तब भूल जाती तुम्हे किसी बुरी आदत की तरहा !
तुम तो मुझमे सुबह की भांति समाये हो मेरी एक उम्मीद बनकर ,
तुम तो मुझमे रात की भांति समाये हो मेरी एक हार बनकर ,
बदन के हर हिस्से में दर्द बनकर सहलाते हो तुम मुझे ...
लोग कहते हैं -
काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती !
भावनाएं इस तरहा तरसती हैं मुझे तेरा नाम लेकर ,
जैसे रौशनी से गुजर कर अँधेरे में गुम होती परछाई हूँ कोई,
जैसे वक़्त से गुजरा , पीला सा पत्ता हूँ कोई,
मुझसे झोंके बन टकराते हो , तब
तड़प कहती है -
काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती !
लगता है मौन में मुझको,
किसी ने छीन लिए हो , रंगीन सब सपने,
नाराजगी के सब कारण .
और छोड़ जाते हो टूटे बिखरे शब्द मेरे
और एक भीगता कागज ,
जो रुदन में कहता है -
काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती,
तब भूल जाती तुम्हे किसी बुरी आदत की तरहा !
तब भूल जाती तुम्हे किसी बुरी आदत की तरहा !
तुम तो मुझमे सुबह की भांति समाये हो मेरी एक उम्मीद बनकर ,
तुम तो मुझमे रात की भांति समाये हो मेरी एक हार बनकर ,
बदन के हर हिस्से में दर्द बनकर सहलाते हो तुम मुझे ...
लोग कहते हैं -
काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती !
भावनाएं इस तरहा तरसती हैं मुझे तेरा नाम लेकर ,
जैसे रौशनी से गुजर कर अँधेरे में गुम होती परछाई हूँ कोई,
जैसे वक़्त से गुजरा , पीला सा पत्ता हूँ कोई,
मुझसे झोंके बन टकराते हो , तब
तड़प कहती है -
काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती !
लगता है मौन में मुझको,
किसी ने छीन लिए हो , रंगीन सब सपने,
नाराजगी के सब कारण .
और छोड़ जाते हो टूटे बिखरे शब्द मेरे
और एक भीगता कागज ,
जो रुदन में कहता है -
काश ! मुझे तुम्हारी आदत ही हो जाती,
तब भूल जाती तुम्हे किसी बुरी आदत की तरहा !
-अंजलि माहिल
आदतें...जाती हैं क्या कभी?लाख कोशिशों के बाद भी पूरी तरह ,सारी उम्र पीछा कहाँ छोडती हैं...
ReplyDeleteआदतें ...कभी नहीं छूटती ...और बुरी आदतें तो कभी भी नहीं
लाजवाब
ReplyDeleteGeat work RAJASTHAN GK
ReplyDelete