वो जो मासूम है ज्यादा मुझसे ,
वो जो हमसफ़र है मेरा ,
" कोई बंधन नही , फिर हमसफ़र क्यूँ हूँ ? "
अक्सर पूछता है इस बात को कुछ यूँ कह कर-
" तेरा कौन हूँ मैं ? "
माना तेरे जिन्दगी का दीया हूँ मैं ,
जो जलकर -बुझकर भी , उम्र-भर रौशनी दे नहीं दे सकता ।
माना खुशबू कि तरहा महकता भी हूँ ,
बिखरकर तुझमे जो उम्र-भर संग रह नही सकता।
अक्सर पूछता है ......." तेरा कौन हूँ मैं ? "
माना तेरे सहारे कि दीवार हूँ मैं ,
जो दरार के उस पार भी अधूरी हैं और उस पार भी ।
माना तेरी कहानी का नायक हूँ मैं ,
जो अस्तित्व में तो है परन्तु एक शून्य कि भांति ।
अक्सर पूछता है ......." तेरा कौन हूँ मैं ? "
माना तेरे अंतर्मन से उठते हुए सवालों का जवाब हूँ मैं ,
जो स्वयम सफल-असफल समाधानों के दवंद में उलझा है,
माना तेरी जिन्दगी के सफ़र का दिशा-सूचक हूँ मैं ,
जो थमी पवन में खुद भी निर्णय ले नहीं पाता ।
अक्सर पूछता है ....... " तेरा कौन हूँ मैं ? "
वो जो हमसफ़र है मेरा ,
" कोई बंधन नही , फिर हमसफ़र क्यूँ हूँ ? "
अक्सर पूछता है इस बात को कुछ यूँ कह कर-
" तेरा कौन हूँ मैं ? "
माना तेरे जिन्दगी का दीया हूँ मैं ,
जो जलकर -बुझकर भी , उम्र-भर रौशनी दे नहीं दे सकता ।
माना खुशबू कि तरहा महकता भी हूँ ,
बिखरकर तुझमे जो उम्र-भर संग रह नही सकता।
अक्सर पूछता है ......." तेरा कौन हूँ मैं ? "
माना तेरे सहारे कि दीवार हूँ मैं ,
जो दरार के उस पार भी अधूरी हैं और उस पार भी ।
माना तेरी कहानी का नायक हूँ मैं ,
जो अस्तित्व में तो है परन्तु एक शून्य कि भांति ।
अक्सर पूछता है ......." तेरा कौन हूँ मैं ? "
माना तेरे अंतर्मन से उठते हुए सवालों का जवाब हूँ मैं ,
जो स्वयम सफल-असफल समाधानों के दवंद में उलझा है,
माना तेरी जिन्दगी के सफ़र का दिशा-सूचक हूँ मैं ,
जो थमी पवन में खुद भी निर्णय ले नहीं पाता ।
अक्सर पूछता है ....... " तेरा कौन हूँ मैं ? "
-ANJALI MAAHIL
सटीक और सार्थक अभिव्यकित, बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर। सादर।
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत
ReplyDeleteऔर कोमल भावो की अभिवयक्ति......
कोमल भावों से सजी सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteगहरे भाव।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति।
सुन्दर अभिव्यक्ति है!!
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके ब्लौग पर आना.
खूबसूरत भाव सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहद ही सुन्दर...भाव पूर्ण श्रेष्ठ रचना...शुभ कामनायें !!!
ReplyDeleteसुन्दर....अच्छी भावाव्यक्ति..
ReplyDeleteसब कुछ होते हुए भी पूछता है की मैं कौन हूँ तेरा ... सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
सुन्दर काव्य प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeletesundar kavya
ReplyDeletegahan bhavo se likhi sundar abhivykti...
ReplyDeleteसुंदर रचना |
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