कितना जुदा है वो शख्स .. जो मुझमे जुड़ा सा है ..?
है आम वो गैरों के लिए ... मेरा जो खुदा सा है !
वो जो उभरते सूरज मे भी साथ है मेरे ,
और निकलते चाँद मे भी ,
वो जो हकीकत मे भी साथ है मेरे ,
और अधूरे ख्वाब मे भी ,
जितना दूर है वो मुझसे ...उतना मेरे करीब सा है ,
तो कितना जुदा है वो शख्स .. जो मुझमे जुड़ा सा है ..?
वो जो मुझसे खफा हो तो ...खफा खुद से भी होता है ,
वो जो साथ ने दे सके मेरा ..तो तनहा खुद से भी होता है ,
वो जो धड़कन भी है मेरी , जो ज्यादा ,
मुझको ....मुझसे समझता है ,
तो कितना जुदा है वो शख्स .. जो मुझमे जुड़ा सा है ...?
वो जो मेरे सपनो मे भी है , मेरे अपनों मे भी,
वो जो संग मेरे तन्हाई मे है , संग मेरे भीड़ मे भी ,
है जुदा शख्सियत उसकी ...और वही मुझमे मेरी पहचान सा है ,
तो कितना जुदा है वो शख्स .. जो मुझमे जुड़ा सा है..?
शायद ......,
इतना ही जुदा है वो शख्स .. जो मुझमे जुड़ा सा है ,
कि वो मेरी हार भी है ...और मेरी जीत भी ,
वो मेरे आसमान भी है ...और मेरी जमीन भी ,
कि ना वो ही पूरा हो सका उम्रभर .,
और ना मैं ही अधूरी रह सकी ....!
एक प्रतिभासम्पन्न इन्सान् ही इस तरह की रचना कर सकता है इसमें कोयी दो राय नहीं हो सकती आप हमेशा इसी तरह की रचनाओं को समाज और दुनीया के सामने रखे एक दिन दुनीया आप को समझ जाएँगी और जिस दिन दुनीया ने आप को सुन लिया या पढ़ लिया तो समझो आप वही चली गयी जहा आप को होना था. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeletewell done, Anjali ji......bahoot achhii rachana likhte hoo aap. I really like it.
ReplyDeleteOk.. please t c and hope to see u soon.
thnx N.D.Patil ji....
ReplyDeleteaasha hai ki apki dipawali bhi khusiyon se bhari rahi hogi ...
very hurt touching man ke feelings ko kalam me lana to aap bahut ache se janti ho
ReplyDeleteआदरणीय अंजलि जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
ना... वो ही पूरा हो सका उम्रभर .
और ना मे ही अधूरी रह सकी ....
क्या बात है...?
ऐसा अधूरापन जो जिंदगी को पूरा कर दे?
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
वो जो मेरे सपनो मे भी है , मेरे अपनों मे भी
ReplyDeleteवो जो संग मेरे तन्हाई मे है , संग मेरे भीड़ मे भी
है जुदा शख्सियत उसकी ...और वही मुझमे मेरी पहचान सा है
तो कितना जुदा है वो शख्स .. जो मुझमे जुड़ा सा है..?
..apne kahan juda hote hain, we to man mein bas chuke hote hain..
bahut badiya man ke antardwandh ko pradarshit karti rachna..
haardik shubhkamnayen!
तेरा मिलना भी कितना अजीब लगता है,
ReplyDeleteदूर होकर भी,करीब लगता है.......
वाह .. वाह ... बहुत ही खुबसूरत रचना ... इससे ज्यादा कहने के लिए मेरे पास शब्द नही हैं ...
ReplyDeletebhavnao se bhrpur kavita hai.
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