मेरी किताब में हैं दफ़न
सुर्ख गुलाब की पंखुड़ियों से
जाने किसकी खुशबू आती है ??
कुछ अनदेखी सी अनजानी सी
एक शक्ल जहन में आती है
कुछ नाम था उसका
अब भूल गयी ,
पर सोच में हूँ
जाने उस मिटे हुए अक्षर से
जाने किसकी खुशबू आती है ??
कुछ मटमैली बिखरी तस्वीरों में
एक तस्वीर निखर के आती है
कुछ रंग थे , बिखरे उलझे उसमे लगते हैं
पर सोच में हूँ
उन रोते बिखरे रंगों से
जाने किसकी खुशबू आती है ??
कुछ बातें थी जगवालों की ,
एक बात निकल के आती थी ,
" तुझमे तो सब तेरा है !! "
अक्सर वो सब कहते थे ,
पर सोच में हूँ ,
फिर मेरे अंतर:मन में मुझको,
जाने किसकी खुशबू आती है ??
(माफ़ी चाहूंगी , कुछ पंक्तियों में सुधार करना पड़ा है..समय की व्यस्तता के कारण कभी कभी त्रुटी हो जाती है !!! )
-Anjali Maahil