ये सर्द हवाएं जब मुझे छुकर गुजरती हैं
तब तब मुझे तेरा गुजर जाना तेरा याद आता है
ये सर्द -भीगी सी पूस की रातें
सुकून तुम्हे , और मुझे तकलीफ देती हैं
उस साल जब तुम से हम मिले
कहानी नयी थी बुनी ,
गर्म अहसासों की ऊन ,
से गर्म चादर थी बुनी ,
मगर साल बिता ,
साथ था मौसम बिता ,
मेरे ही अश्कों में,
ये सर्द -भीगी सी पूस की रातें ,
सुकून तुम्हे, और मुझे तकलीफ देती हैं |
खिड़की से आती धुप में अब भी याद आता है तू ,
हवा से हिलते पर्दों से, धीरे से मुस्काता है तू ,
पास मेरे अब दर्जन भर भी शब्द नही ,
कि तुझको बता सकूँ कितना याद आता है तू ,
ये सर्द -भीगी सी पूस की रातें ,
सुकून तुम्हे, और मुझे तकलीफ देती हैं |
ये सर्द हवाएं जब मुझे छुकर गुजरती हैं
तब तब मुझे तेरा गुजर जाना तेरा याद आता है |
BY: Anjali Maahil