हमसे दूर हैं वो इतने , की नज़रों में समायें हैं ,
हर रोशन चिरागों के पीछे , लगा उन्ही के साये हैं |
दस्तक होती है दरवाजे पर जब कभी ,
यूँ लगा वो हम से मिलने आये हैं |
उनकी मीठी सी यादें दिल में सजाये रहते हैं ,
जैसे एक रात में, अनगिनत तारे समाये रहते हैं |
यादों में जी रहें हैं , उनके सामने के लिए ,
गुरुर है हमको , वो हमारे लिए जमीं पर आये हैं |
जानते हैं हम आपको , मुस्कुरा रहे हैं आप,
क्यूंकि ये शख्स हमे जवाबों में नज़र आयें हैं |
मेरी किताब की पहली महक.......
ये मेरी सबसे पहली कविताओं में से एक है ......
-Anjali Maahil
बहुत ही खुबसूरत रचना....
ReplyDelete"यादों में जी रहें हैं, उनके सामने के लिए,
ReplyDeleteगुरुर है हमको, वो हमारे लिए जमीं पर आये हैं"
सार्थक प्रयास - और बेहतर कर सकती हैं - शुभकामनाएं
जानते हैं हम आपको , मुस्कुरा रहे हैं आप,
ReplyDeleteक्यूंकि ये शख्स हमे जवाबों में नज़र आयें हैं |
आपकी सबसे पहली और सबसे बेहतर कविता है.
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.
सादर
यादों में जी रहें हैं , उनके सामने के लिए ,
ReplyDeleteगुरुर है हमको , वो हमारे लिए जमीं पर आये हैं |
waah... kitna haseen gurur
अच्छी कोशिश थी.......ये अच्छा लगा....
ReplyDeleteयादों में जी रहें हैं , उनके सामने के लिए ,
गुरुर है हमको , वो हमारे लिए जमीं पर आये हैं |
tumhi se hum
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne
दस्तक होती है दरवाजे पर जब कभी ,
ReplyDeleteयूँ लगा वो हम से मिलने आये हैं |
बहुत खूब ..सुन्दर अभिव्यक्ति
sunder bhav..............
ReplyDeleteबहुत खूब अच्छी कोशिश....सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
क्या खुब लिखा है.....बहुत सुंदर आपकी "पहचान" को देखकर तो हम गुमनाम हो गये..लाजवाब..बहुत सुंदर और बैकग्राउंड भी मस्ता है...संवेदनाओं से भरा हुआ....वाह...।
ReplyDeleteSUPERB POETRY
ReplyDeleteSANJAY VARMA
दस्तक होती है दरवाजे पर जब कभी ,
ReplyDeleteयूँ लगा वो हम से मिलने आये हैं | ..मन को छूने वाली प्यारी सी रचना... धन्वाद..
कल 17/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आप सभी कि शुभकामनाओं और प्रतिक्रियाओं के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!!!
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