जो मुझे जलाते रहे ,
By : Anjali Maahil
दिवाली की ख़ुशी पाते रहे ,
मेरी खुशियों से मेरा नाता तोड़
हर चोट पर मेरी , मुस्कुराते रहे
मुझे कहा गया ...
ज़िंदगी का तमाशा यही .....
फलसफा यही ...
जो लगे है आशा की किरण ,
आगे बढ़ने के ख्याल से सब छुटा ,
हम दुनिया में रहकर ,
यकीं लोगो पर करते रहे ,
और उलझाने अपनी बढ़ाते रहे ,
दर्द के बाज़ार से कुछ यूँ रहा ,
रिश्ता अपना ,
दस्तूर में रह कर ... दस्तूर निभाते रहे ,
खुशी देते रहे ....और गम अपनाते रहे |
मुझे अब आदत सी हुई ,
आजमाइश की , तो ,
कत्ल करते रहे , आसूं भी बहाते रहे |
लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
" अदा खूब आती है " ,
कोई उनसे जाकर तो कहे ,
ये मेरी " पहचान " ना थी ,
ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
जो ज़माने पर लुटाते रहे |
By : Anjali Maahil
लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
ReplyDelete" अदा खूब आती है " ,
कोई उनसे जाकर तो कहे ,
ये मेरी " पहचान " ना थी ,
ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
जो ज़माने पर लुटाते रहे |
बहुत खूबसूरती से शब्दों से खेलती हैं आप.
कविता में वास्तविकता और अपनी सोच को जिस तरह से प्रस्तुत किया है वह लाजवाब है.
सादर
कल 29/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है-
ReplyDeleteआपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
बहुत सुन्दर रचना..शब्दों और भावों का सुन्दर संयोजन..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से लिखा है ..
ReplyDeleteशानदार रचना। भावनाओं और शब्दों में गजब का तालमेल है। पहली बार आना हुआ आपके ब्लाग पर। इतनी अच्छी रचना के लिए धन्यवाद के पात्र है।
ReplyDeletejitni tarif karun kam hai
ReplyDeleteजो मुझे जलाते रहे ,
ReplyDeleteदिवाली की ख़ुशी पाते रहे ,
मेरी खुशियों से मेरा नाता तोड़
हर चोट पर मेरी , मुस्कुराते रहे ...अपने भावो को सुन्दर शब्दो से पिरोया है...सुन्दर रचना..
बहुत खूबसूरत....
ReplyDeletebahut hi sunder
ReplyDeletevery nice & touching...gd
ReplyDeletesuch ki baya karti karti apki khubsurat kavita..
ReplyDelete" अदा खूब आती है " ,
ReplyDeleteकोई उनसे जाकर तो कहे ,
ये मेरी " पहचान " ना थी ,
ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
जो ज़माने पर लुटाते रहे |
bahut khubsurat shbdon ka tana bana :)
very nice :)
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज -
लोग आये तमाशा देखकर बोले ,
ReplyDelete" अदा खूब आती है " ,
कोई उनसे जाकर तो कहे ,
ये मेरी " पहचान " ना थी ,
ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
जो ज़माने पर लुटाते रहे |
बहुत बढ़िया....
anjali ji shayed aapko maine pahli baar padha....aur yakin maniye aapki lekhni dil me utar gayi....beshak sadharan shabd vyanjana thi lekin dil se nikli baat aur har ek ki roz-marra ki zindgi ke ehsas the jo vastvikta ka libas odhe hain.
ReplyDeletelaajawab rachna.
लफ़्ज़ों का बखूबी इस्तेमाल किया है .....एक ले सी बंधी पर बंधी रह नहीं पायी थोड़ी और कोशिश से एक शानदार ग़ज़ल बन सकती थी.......कृपया अन्यथा न लें |
ReplyDeleteकोई उनसे जाकर तो कहे ,ये मेरी " पहचान " ना थी ,ये ज़माने के ही रिवाज थे ,जो ज़माने पर लुटाते रहे ...
ReplyDeleteसमय स्वभाव में बदलाव और तल्खियाँ ला ही देता है , कुसूर किसका !
http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_5706.html
ReplyDeleteलोग आये तमाशा देखकर बोले ,
ReplyDelete" अदा खूब आती है " ,
कोई उनसे जाकर तो कहे ,
ये मेरी " पहचान " ना थी ,
ये ज़माने के ही रिवाज थे ,
जो ज़माने पर लुटाते रहे |
वाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया. @यशवंत माथुर,
ReplyDelete@ पूजा,@ Kailash C Sharma ,@संगीता स्वरुप ( गीत ) ,@महेश्वरी कनेरी,@ अहसास, @ रश्मि प्रभा, @ वीना, @ Er. सत्यम शिवम, @ रोशी ,२ सुषमा (आहुति),@ वाणी गीत, @ अनामिका की सदायें ....., @ मीनाक्षी पन्त, @इमरान अंसारी ,
@ वीना |
har shabd ko tol mol kar ek dum se fit kar diya aapne...:)
ReplyDeletebahut pyari kavita.........
very nice...
ReplyDeleteमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)
बहुत सुंदर भावभरी रचना।
ReplyDeleteशुभकामनाएं आपको
लाजवाब
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteआप सभी की शुभकामनाओं और प्रतिक्रियाओं के लिएय धन्यवाद .....!!!
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