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Nov 15, 2010

* यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते , रमन्ते तत्र देवता *


वो  कहते  हैं की "हम वक़्त के साथ बदल गये..|"
और भूल गये की "वक़्त तो कभी बदला ही नही..|"




मैं जो  हँसती  हूँ ...खुलकर  जीती  हूँ  ज़िंदगी
तो कहते हैं मर्यादा हूँ बंधी ही अच्छी लगती हूँ |

मैं कलम उठाकर लिखती हूँ ..पढ़ती हूँ ....समझती हूँ
 तो कहते हैं मर्यादा हूँ बंधी ही अच्छी लगती हूँ |

मैं हक को अपनी लडती हूँ ..कहती हूँ अपनी बात सभी
 तो कहते हैं मर्यादा हूँ बंधी ही अच्छी लगती हूँ |

मैं मर्यादा हूँ , तो क्यूँ मुझको , मर्यादा का पाठ पढ़ाते हो...?
खुद को देखो आईने मे .....जो मर्यादा का पाठ पढ़ाते हो..!


जब घर की चार दीवरो मे , मुझको झोंका जाता है 
और बात बात पर मुझको, जन्म का दोष सुनाया जाता है 
तब मान तुम्हारा बढ़ता है जब मुझको पीटा जाता है 
खुद को देखो आईने मे .....जो मर्यादा का पाठ पढ़ाते हो..|

मेरा ही जीवन छीनते हो और देवी- पूजन करते हो 
खुद अपने मे राम नही और सीता से तुलना करते हो 
धन के लालच मे तुम धूं- धूं जिन्दा मुझे जलाते हो 
खुद को देखो आईने मे .....जो मर्यादा का पाठ पढ़ाते हो..|

बुरी नजर और नियत खुद की ....कपड़ो का दोष बताते हो 
खुद मे लाखो कमी है फिर भी , बदनामी लड़की को ही देते हो 
मेरी रक्षा और मान की खातिर, आवाज़ भी नही उठाते हो 
खुद को देखो आईने मे .....जो मर्यादा का पाठ पढ़ाते हो..|

अब जो नज़र झुक जाये  और शर्म भी खुद पर आती हो 
कह देना की, पिछले पल से इस पल तक 
तुम थोडा सा तो बदले हो- तुम थोडा सा तो बदले हो
खुद को देखो आईने मे .....जो मर्यादा का पाठ पढ़ाते हो..|



नन्हे नन्हे कदमो से वो जब घर मे खुशियाँ लाती हो
तब पूजा उसकी कर लेना और सब मंगल- मंगल कर लेना 
और जोश मे सब से कह देना की ......घर मे "लक्ष्मी" लाये हो
खुद को देखो आईने मे .....जो मर्यादा का पाठ पढ़ाते  हो..|









2 comments:

  1. hey!!! u write briliantly again,ek samajik visay par bhut accha likha h
    we hav to respect women

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