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Nov 12, 2010

दो पग तेरे - दो पग मेरे


कहीं दूर देश मे तुम जो हो 
कहीं दूर देश मे , मैं भी हूँ ...
तब दो चार कदम कभी तुम चलना 
दो चार कदम पर मैं भी हूँ 

जो दिन मे भीड़ झमेले हो और हम रातों मे तनहा अकेले हों 
तब तेल- दिए सब बुझ जाते हों और आखें नीर बहती हों 
अब बारिश मे भीगे तुम जो हो .....और भीगी सी मैं भी हूँ 

तब दो चार कदम कभी तुम चलना 
दो चार कदम पर मैं भी हूँ 

जब बातें भी चुप सो जाएँ 
और याद धुंआ बन जाती हों 
तब बात पुरानी तुम सब करना 
और दिल को अपने बहलाना 
जिस दिल मे अब तुम रहते हो ...
और उस दिल मे अब मैं भी हूँ 
तब दो चार  कदम कभी तुम चलना
 दो चार कदम पर मैं भी हूँ ..

जब ख़त भी काले पड़ जाते हों 
और रातों को गहरा करते हों 
तब किस्से तुम नए लिख देना 
और दिल मे अपने रख लेना 
उन किस्सों मे अब तुम जो हो
और किस्सों मे मैं भी हूँ ..
तब दो चार  कदम कभी तुम चलना 
दो चार कदम पर मैं भी हूँ

जब सूरज आधा छुप जाये 
और चंद फलक पर आधा हो 
तब पलकों पे मोती तुम ले आना 
और सागर मे मोती भर देना 

उन मोती मे अब तुम जो हो ...
और मोती मे मैं भी हूँ ..
तब दो चार कदम कभी तुम चलना 
दो चार कदम पर मैं भी हूँ ...




8 comments:

  1. vaise to puri poem hi bhut acchi h par i like these lines very much "जब ख़त भी काले पड़ जाते हों
    और रातों को गहरा करते हों
    तब किस्से तुम नए लिख देना
    और दिल मे अपने रख लेना
    उन किस्सों मे अब तुम जो हो
    और किस्सों मे मैं भी हूँ ..
    तब दो चार कदम कभी तुम चलना
    दो चार कदम पर मैं भी हूँ "
    brilliant work...

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  2. is dis ur blog anjali????????grt yaar........its really awesome........keep it up....god bless u dear......

    ReplyDelete
  3. Dear anjali...really awesome job........brilliant .well done keep it...u r quite younger to me so i would like to say...well done bacche.....

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  4. अत्यंत सुन्दर रचना...
    सादर...

    ReplyDelete
  5. जब सूरज आधा छुप जाये
    और चंद फलक पर आधा हो
    तब पलकों पे मोती तुम ले आना
    और सागर मे मोती भर देना

    उन मोती मे अब तुम जो हो ...
    और मोती मे मैं भी हूँ ..
    तब दो चार कदम कभी तुम चलना
    दो चार कदम पर मैं भी हूँ ...

    बहुत खूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  6. जब सूरज आधा छुप जाये
    और चंद फलक पर आधा हो
    तब पलकों पे मोती तुम ले आना
    और सागर मे मोती भर देना

    बहुत अच्छा लिखते हो और ऐसे ही लिखते रहो आप।

    सादर

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  7. उन मोती मे अब तुम जो हो ...
    और मोती मे मैं भी हूँ ..
    तब दो चार कदम कभी तुम चलना
    दो चार कदम पर मैं भी हूँ ...
    भाव पूर्ण प्रस्तुति ....सादर !!!

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