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Nov 19, 2010

मेरे आदर्श ...मेरे पिताजी

होंसला मिलता है मुझे ,
जब भी वो  कहते हैं ......


क्या हुआ ..
जो गिर गये कभी ..?
उठकर चलना भी तो सिखाया है तुम्हे |


क्या हुआ ...
जो लडखडाये ज़िंदगी मे कभी ...?
लडखडाकर संभलना भी तो सिखाया है तुम्हे |


क्या हुआ ....
जो अंधेरा मिल गया ...?
जलाकर खुद को ,
रोशन जहाँ को करना, तो सिखाया है तुम्हे |


खुद को अकेला समझना ना कभी ,
साथ तेरे मैं रहूँगा सदा ,
तेरे सर पर आशीर्वाद बनकर ,
तेरी पहचान मे एक पहचान बनकर |



क्या हुआ ...जो लोग झूठ कह गये ...?
यकीं खुद पे भी तो करना सिखाया है तुम्हे |


क्या हुआ ...जो ठोकरें भी मिली ...?
शिखर सी मंजिल के..
रास्ते पर चलना तो सिखाया है तुम्हे |


क्या हुआ ...जो पैर छु ना सकी मेरे ...?
बेटे का हर काम तो सिखाया है तुम्हे |


सिखा ना सका , मैं बस इतना ,
की खुद के लिए जीना नही सिखाया है तुम्हे |


सिखाया तो नही ,  तुम्हे कमजोर होना ,
पर नयी राह को बनाना  तो सिखाया है तुम्हे |



















4 comments:

  1. एकदम सही बात कही है आपने.एक एक पंक्ति में सच्चाई बयां की है.

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  2. grt anjali.......i hav a lot to say,,,,,but truthfully speechless.......KYA HUA JO ANDHERA MIL GAYA,,,,,,JALAKAR KHUD KO JAHAN KO ROSHAN TO KARNA TO SIKHAYA TUMHE!!!!!!!OH MA GOD......KYA LINES HAIN........BAS YAHI KAHUNGA.....DIL KO CHHU GAYI YE LINES........GUD WORK.....GOD BLESS U ANJALI

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  3. Dear Anjali..i do not have words to say anything ...only tears in eyes...well done

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  4. itni sari baten sikha di isi ko jeena khte hain anjaliji.bhut acha likha hai aapne.

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