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Feb 10, 2012

तुम्हे मैं जान - ना पाया !


 "   बहुत देर तक अब खामोश, लब रहते नही मेरे ..! "


बड़ा अजीब लगता है 
रोज ही तो गुजरा हूँ इस रस्ते से ,
मगर खामोश रहता हूँ  तो
तुम्हे मैं जान - ना पाया !!

रोज तुम से होकर ही तो गुजरा हूँ मैं 
किसी की यादों के हाथों को थामे हुए 
कभी गुनगुनाता हुआ..... कभी बिलकुल खामोश 
कल भी तो था किसी हसीन 
चेहरे के संग-संग ...उसे खुद से झूठलता  हुआ 
उस के वजूद को नकारता हुआ 
वो चेहरा भी तुम्हारी ही तरहा
अक्सर खामोश रहता है ...
मुझे तुम्हारी ही तरहा
गुजरते  देखता है खुद में 
मगर खामोश रहता है !
मुझे अकेला छोड़ता ही नही है साया उसका 

चलो ....आज उसकी बातें नही करता !
कुछ बतलाओ मुझे भी अपना ..
उसे भूल जाना है ..
तुम इतने ठहरे हुए हो ..तुम्हे बोझिल नही लगता ?
एक दिशा भागते हुए ..अब थक चूका हूँ मैं 
तेरी दरारें देखता हूँ ...तो उसके चेहरे पर  
सूखे अश्कों के निशान उभर आते हैं दिल में 
चलो ...आज उसकी बातें नही करता !
पीछे मुड़कर देखने से डरता हूँ मैं 
थककर फिर से जब तुझपर चलता हूँ मैं ,
कि.. उसकी नम आँखें अभी तक मेरा पीछा करती हैं !!

बड़ा अजीब लगता है 
रोज ही तो गुजरा हूँ इस रस्ते से ,
मगर खामोश रहता हूँ  तो
तुम्हे मैं जान - ना पाया !!


BY: Anjali Maahil

10 comments:

  1. सुंदर अभिव्यक्ति ...

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  2. उसकी नम आँखें मेरा पीछा करती हैं..... गहरी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति...

    मुझे अकेला छोड़ता नहीं साया उसका...

    बहुत सुन्दर!!!

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  4. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  5. सुंदर अभिव्‍यक्ति।
    बढिया प्रस्‍तुतिकरण।

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  6. न जान पाने का दर्द .. भावप्रवण अभिव्यक्ति

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  7. बहुत ही अनुपम भाव संयोजन ।

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  8. सुन्दर ,सुन्दर,बहुत ही अनुपम ,बेहतरीन भावाभिव्यक्ति

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  9. बहुत ही गहरी और भावपूर्ण अभिवयक्ति.........

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