ये मेरा शहर दिल्ली ,
बड़ी महोब्बतों का शहर है,
किसी से , किसी को ,
शिकायत नही ,
फिर भी बहुत बदनाम हैं ,
लोग इसे सलाम देते है !
इसे,
नवाबो के ठाट तो ,
मुफलिसी के पैबंद भी मिले ,
समां दर्द सीने में सबसे ,
मुस्कुरा के मिलता हैं ,
बड़ी महोब्बतों का शहर हैं ,
ये मेरा शहर दिल्ली !
इसे ,
रातों को जगमगाहट तो ,
दिन में अँधेरे भी मिलें ,
दुश्मनी में भी सबसे ,
शराफत से मिलता हैं ,
बड़ी महोब्बतों का शहर है ,
ये मेरा शहर दिल्ली !
वो और बीज थे थे पलकर ,
जो रह गये इसमें ,
मुसाफिरों के व्याख्यानों में ,
नाम इसे "बाज़ार" मिलता है ,
बड़ी महोब्बतों का शहर है ,
ये मेरा शहर दिल्ली !
आते हैं बड़ी दूर से आज ,
ख्वाहिशों में जो इसकी ,
बनाते ही यहाँ 'पहचान' ,
फिर इसे ही भूल जाते हैं ,
फिर भी, इसको किसी से
शिकायत नही ,
बड़ी महोब्बतों का शहर हैं ,
ये मेरा शहर दिल्ली !
By : Anjali Maahil
दिल्ली तो दिलवालों की है .
ReplyDeleteअंजलि जी! बहुत ख़ूबसूरती से आपने अपने एहसासों को इन शब्दों में संजोया है.
सादर
बहुत सटीक चित्र दिल्ली का...
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteaap sabhi ka tahe dil se dhnywad .....aap sabhi apne jeevan me kamyabi payen ....
ReplyDeleteawsome !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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