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Jun 1, 2011

अच्छा लिख रहा होगा !

कोई कहीं तुझसे भी अच्छा लिख रहा होगा !
दुनिया के ये अल्प शब्द ,
और मेरा अथाह निराशा का कागज ,
दोनों ही अपने - अपने 
धरातल में मुझे खिंच लेते हैं ,



मानो ,
चंद दूरी तय करके ,
बढ़ते कदम फिर ठिठकते हैं ,
और लौट आते हैं इस प्रकार ,
मेरे बढ़ते कदम फिर से ,



मेरे रिक्त कागज और
 जीव(आत्मा ) से ,
कहती रही ,भावों की लेखनी मेरी ,
"दोष सिद्ध तुझमे तो हो ,
नही जाता , ये सोच कर ,
कोई  कहीं तुझसे भी अच्छा लिख रहा होगा ! "


ना पूर्ण भाव समां पायेगा ,
वो शब्द - कोष में अपने ,
ना जीव को ही गात(शरीर)दे पायेगा ,
फिर प्रश्न क्यूँ बना यहाँ ,
हार और जीत का ?"
ये तो पूरक हैं 
सांध्य और प्रात: की भांति 
फिर , दोष सिद्ध तो हो नही जाता ,
स्वयं में , ये सोच कर ,
कोई  कहीं तुझसे भी अच्छा लिख रहा होगा !


BY: Anjali Maahil

8 comments:

  1. कोई कहीं तुझसे भी अच्छा लिख रहा होगा !
    दुनिया के ये अल्प शब्द ,
    और मेरा अथाह निराशा का कागज ,
    दोनों ही अपने - अपने
    धरातल में मुझे खिंच लेते हैं

    कविता में बहुत गहरी बात कह दी है आपने.
    बहुत अच्छा लिखा है .

    सादर

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  2. धन्यवाद यशवंत जी ......आपके विचारों का हमे इंतज़ार रहता हैं .....

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  3. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (04.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
    स्पेशल काव्यमयी चर्चाः-“चाहत” (आरती झा)

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  4. आप तो बस लिखते चलें बिना चिन्ता करें...शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भाव ..अच्छी प्रस्तुति

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  6. बहुत सुन्दर सोच...सुन्दर प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  7. bhut bhut gahraayi aur sunder shabd rachna...

    ReplyDelete
  8. शब्‍द वही होते हैं लिखने का अंदाज अलग अलग होता है....
    अच्‍छी रचना.. अच्‍छे भाव
    शुभकामनाएं आपको

    ReplyDelete

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