आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है !
बता कौन है वो शख्स ,
जो तेरे अन्दर ,
तुझ से सच कहता है ?
इस ठहरे हुए पानी में ,
अक्स देख तो अपना ,
बता कौन है वो शख्स ,
जो तेरी रूह में तेरे संग रहता है ?
हो जाती कभी सुबह ,
कभी छा जाती चांदनी ,
बता कौन है वो शख्स ,
जो दर्द बन तुझमे हर वक़्त रहता है ?
झांक खुद में तू .... और तलाश कर अपनी
बता कौन है वो शख्स ,
जो जहान में खुदी से जुदा रहता है ?
आइना देखूं तो, आइना .....ये कहता है .
सच क्यूँ नही कहती , स्वयं से ?
वही सच जो ओरों से छुपा है !
" मैं कमजोर नही ...! "
आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है ...!
BY: ANJALI MAAHIL
सच क्यूँ नही कहती , स्वयं से ?
ReplyDeleteवही सच जो ओरों से छुपा है !
" मैं कमजोर नही ...! "
आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है ...!
अपने आप में बहुत कुछ कह देती यह पंक्तियाँ.
बेहतरीन.
--------------------------
कल 06/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सच क्यूँ नही कहती , स्वयं से ?
ReplyDeleteवही सच जो ओरों से छुपा है !
" मैं कमजोर नही ...! "
आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है ...!
अपने आप में बहुत कुछ कह देती यह पंक्तियाँ.
बेहतरीन.
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कल 06/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सच क्यूँ नही कहती , स्वयं से ?
ReplyDeleteवही सच जो ओरों से छुपा है !
" मैं कमजोर नही ...! "
आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है ...!
दर्पण झूठ न बोले...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...आईना सच कहता है ...
ReplyDeleteझांक खुद में तू .... और तलाश कर अपनी
ReplyDeleteबता कौन है वो शख्स ,
जो जहान में खुदी से जुदा रहता है ?
आइना देखूं तो, आइना .....ये कहता है .
....bahut hi badhiyaa
सच क्यूँ नही कहती , स्वयं से ?
ReplyDeleteवही सच जो ओरों से छुपा है !
" मैं कमजोर नही ...! "
आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है ...!
बहुत अच्छे भाव हैं.
वो आपके अन्दर बसा चैतन्य है.....बस उसी को साक्षी मान कर चलना है ....तभी वो डगर मिलेगी........बहुत ही खूबसूरत अहसास हैं |
ReplyDeletesuch me aaina kabhi huth nhi bolta hai... behtreen rachna...
ReplyDeleteसच क्यूँ नही कहती , स्वयं से ?
ReplyDeleteवही सच जो ओरों से छुपा है !
" मैं कमजोर नही ...! "
आइना देखूं तो ,
आइना अक्सर मुझसे ये कहता है ...!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...आईना सच कहता है ...
अपने आप को अपने सच को पहचानना आसान नही होता ... कभी कभी तो दुष्कर भी होता है ...
ReplyDeleteआयिना सच का प्रतीक है,,...इस से कब कुछ छुपा है.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
हो जाती कभी सुबह ,
ReplyDeleteकभी छा जाती चांदनी ,
बता कौन है वो शख्स ,
जो दर्द बन तुझमे हर वक़्त रहता है ?
kyaa baat haae ...
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
ReplyDeleteदर्पण झूठ ना बोले, सुंदर अभिव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteगहरे भाव।
शब्द विन्यास प्रभावी।
शुभकामनाएं आपको।
I KNOW YOU THROUGH THIS POST. SUPERB POETRY. WHO CAN NOT SEE THE MIRROR AND HOW SHOULD PEEP INTO THE MIRROR? ALL KIND OF ANSWERS ARE EXIST IN YOUR POETRY.
ReplyDeleteआइना में अक्श ..उम्दा रचना ..बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .. टचिंग
ReplyDeleteआप सभी कि शुभकामनाओं और प्रतिक्रियाओं के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!!!
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