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Oct 3, 2011

खामोश क़दमों से

उठते हैं सवाल जहन में कई -
तो दूर , बहुत दूर निकल पड़ती हूँ मैं !
खामोश क़दमों से ,
आँखों में नमी और होंठों पर ,
कुछ अस्फुट शब्द लेकर...!!

मेरी सामने की दीवार पर जो एक  बिंदु है ,
जो खींचता है कई बार अकेले में मुझे ,
जब प्रश्न लेकर उस और देखती हूँ मैं  !
कभी वो मेरे करीब आता हैं ,
कभी समां लेता है दीवार में मुझको !
आकर करीब - चले जाने का ये ,
फासला अब समझने लगी हूँ मैं ! 

अब  ढूंढती  हूँ दीवार पर कई और बिंदु ,
शायद वो भी मेरे अस्तित्व के शून्य से हैं ,
वहीँ कुछ हैं उलझने मेरी , और ज्यादा उलझने को ,
और मुझे उम्मीद समाधानों की अब भी बाकि है !

उठते हैं सवाल जहन में कई -
क्यूँ बड़े वक़्त से सुकून से सोयी नही हूँ मैं ?
क्यूँ बड़े वक़्त से सुकून से रोयी नही हूँ मैं ?
मैं तो कमजोर थी , तो कैसे सब सह लिया मैंने?

उठते हैं सवाल जहन में कई -
क्यूँ तृप्ति की अभिलाषा में ,अतृप्त रहीं हूँ मैं ?
क्यूँ मुक्ति , मुक्त बंधन से मांग रही हूँ मैं ?

उठते हैं सवाल जहन में कई -
क्यूँ अब सपने  अच्छे लगते नही मुझे ?
और  किस के धरातल से , आसमां में , 
मुझे नयी  परवाज भरनी होगी ?

उठते हैं सवाल जहन में कई -
तो दूर , बहुत दूर निकल पड़ती हूँ मैं, खामोश क़दमों से -------------


अस्फुट=अस्पष्ट,  परवाज= उडान,  धरातल=जमीन

-ANJALI MAAHIL 



13 comments:

  1. उठते हैं सवाल जहन में कई -
    तो दूर , बहुत दूर निकल पड़ती हूँ मैं, खामोश क़दमों से -------------
    बहुत ही अच्छी पंक्तिया.....

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  2. बहुत खूब अंजलि जी।

    सादर

    ReplyDelete
  3. Really Very Nice Written Anjali Ji... Regards..

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  4. waah... bahut khoob...
    sukoon se sona aur sukoon mei rona... bahut hi khoob...
    amazed... :)

    ReplyDelete
  5. सुंदर प्रस्‍तुति.........

    बेहतरीन ख्‍यालात.....

    ReplyDelete
  6. और किस के धरातल से , आसमां में ,
    मुझे नयी परवाज भरनी होगी ?
    बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति ......

    ReplyDelete
  7. और कुछ कहने की अवश्यकता ही नहीं आपकी रचना का शीर्षक ही बहुत कुछ कह देता है सुंदर प्रस्तुति
    समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  8. उठते हैं सवाल जहन में कई -
    क्यूँ तृप्ति की अभिलाषा में ,अतृप्त रहीं हूँ मैं ?
    क्यूँ मुक्ति , मुक्त बंधन से मांग रही हूँ मैं ?

    बहुत खूबसूरत अहसास समेटे पोस्ट.........लाजवाब |

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  9. अंजलि जी। बहुत खूबसूरत अहसास है...अभिव्यंजना में आप की प्रतीक्षा है...

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  10. मेरे ब्लॉग ' जज़्बात.....दिल से दिल तक' की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|

    ReplyDelete
  11. क्यूँ बड़े वक़्त से सुकून से सोयी नही हूँ मैं ?
    क्यूँ बड़े वक़्त से सुकून से रोयी नही हूँ मैं ?

    बहुत खूब.
    गहरे दर्द का अहसास.
    खूबसूरत अलफ़ाज़.
    लगता है ज़िन्दगी दर्द के सिवा कुछ भी नहीं.

    इमरान भाई का शुक्रिया,जिनके ब्लॉग से आपकी पहचान का रास्ता मिला.

    ReplyDelete
  12. मेरे ब्लॉग ' जज़्बात.....दिल से दिल तक' की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|

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