" मैंने सपनो में सपनो को जगते देखा है ...!! "
चंदा मामा का नाम लिए ,
और होंठों पर मुस्कान लिए ,
मैंने लोगों को सपनो में जागते देखा है !
काली - उजली निखरी रातों में ,
आँखें खोले जज्बातों में ,
मैंने लोगों को सोते देखा है !
झूठी बनावटी नगरी में ,
छलकी (छल की ) सी एक छोटी गगरी में ,
सच की चिताओं को यकीनन ,
मैंने लोगों पर हँसते देखा है !
झर- निर्झर बहती आसमान की बूंदों में ,
और तीव्र वेग की धारा में ,
मैंने लोगों को रोते देखा है !
टूटी बिखरी आशाओं में
आजादी की बदली परिभाषाओं में ,
मैंने अपंग से लोगों को ,
पर्वत पर चढ़ते देखा है !
कंकरीली बंजर भूमि पर ,
आड़ी -टेड़ी रेखाओं से ,
मैंने लोगों को सोने में जुतते देखा है !
पुन्य -दायनी गंगा में ,
हाँ ! मोक्ष दायनी गंगे में ,
मैंने लोगों को पाप मिलाते देखा है !
बुख से उपजी नफरत में ,
पेट से उठती ज्वाला में ,
मैंने लोगों को मुल्क जलाते देखा है !
जो इतिहास में थे सब छुट गये ,
और वर्तमान में लड़ते हैं ,
मैंने उन लोगों के हाथों से , भविष्य बिगड़ते देखा है !
भ्रष्टाचार के वारों से ,
खिंची हुई तलवारों में
मैंने लोगों को , लोगों में , एक अलख जगाते देखा है !
मैंने लोगों को सपनो में जागते देखा है !
काली - उजली निखरी रातों में ,
आँखें खोले जज्बातों में ,
मैंने लोगों को सोते देखा है !
झूठी बनावटी नगरी में ,
छलकी (छल की ) सी एक छोटी गगरी में ,
सच की चिताओं को यकीनन ,
मैंने लोगों पर हँसते देखा है !
झर- निर्झर बहती आसमान की बूंदों में ,
और तीव्र वेग की धारा में ,
मैंने लोगों को रोते देखा है !
टूटी बिखरी आशाओं में
आजादी की बदली परिभाषाओं में ,
मैंने अपंग से लोगों को ,
पर्वत पर चढ़ते देखा है !
कंकरीली बंजर भूमि पर ,
आड़ी -टेड़ी रेखाओं से ,
मैंने लोगों को सोने में जुतते देखा है !
पुन्य -दायनी गंगा में ,
हाँ ! मोक्ष दायनी गंगे में ,
मैंने लोगों को पाप मिलाते देखा है !
बुख से उपजी नफरत में ,
पेट से उठती ज्वाला में ,
मैंने लोगों को मुल्क जलाते देखा है !
जो इतिहास में थे सब छुट गये ,
और वर्तमान में लड़ते हैं ,
मैंने उन लोगों के हाथों से , भविष्य बिगड़ते देखा है !
भ्रष्टाचार के वारों से ,
खिंची हुई तलवारों में
मैंने लोगों को , लोगों में , एक अलख जगाते देखा है !
-ANJALI MAAHIL
टूटी बिखरी आशाओं में
ReplyDeleteआजादी की बदली परिभाषाओं में ,
मैंने अपंग से लोगों को ,
पर्वत पर चढ़ते देखा है !
बहुत बहुत अच्छी पंक्तियाँ।
सादर
बहुत भावपूर्ण कविता
ReplyDeleteहमने खुद को अंधेरो में भटकते और निकलते देखा है
--
anu
मार्मिक और भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण औरबहुत भावपूर्ण कविता कविता
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteएक बार मेरी भी रचना देखें-
मेरी कविता:सूखे नैनबहुत भावपूर्ण रचना |
एक बार मेरी भी रचना देखें-
मेरी कविता:सूखे नैन
भावभरी रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन शब्द संयोजन।
आप बहुत अच्छा लिखती हैं कुछ अलग मिलता है आपके ब्लॉग पर कही दबा सा आक्रोश भी है एक अलग नजरिया कहीं न कहीं मिलता सा लगता है .........बहुत सुन्दर पोस्ट लगी.........
ReplyDeleteबुख का मतलब शायद भूख से था आपका.........और भी कुछ मात्रात्मक गलतियाँ दिखीं शायद जल्दी की वजह से ऐसा हुआ होगा|
अगर आप बुरा न माने तो एक बात पूछना चाहता हूँ आपके ब्लॉग पर जो बड़ी सी तस्वीर है ऊपर की तरफ .........क्या वो आपकी है?
बहुत भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteबुख से उपजी नफरत में ,
ReplyDeleteपेट से उठती ज्वाला में ,
मैंने लोगों को मुल्क जलाते देखा है !
मेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...
बहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...
बुख से उपजी नफरत में ,
ReplyDeleteपेट से उठती ज्वाला में ,
मैंने लोगों को मुल्क जलाते देखा है !
मेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...
बहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...
मुझे लगा कि आपके ब्लॉग पर यदि कोई आपसे कोई प्रश्न पूछता है तो यथासंभव हमे उसका जवाब देना चाहिए.........अगर आपको बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहूँगा|
ReplyDeleteजी जवाब जरूर देना चाहिये ..परन्तु ३ दिन से मेरा कंप्यूटर खराब था इस कारण मैं आपको जवाब नहीं दे सकी ..
ReplyDeleteजी वो तस्वीर हमारी नही है , मुझे अपने ब्लॉग के लिए फीट लगी तो मैंने नेट से edit करके यहाँ लगा दी थी... blog concept ko clear करने के लिए . उम्मीद है आपके प्रश्न का उत्तर अब आपको मिल गया हो ...@ इमरान अंसारी
अनिल जी आपने अपनी भाषा में प्रतिक्रिया दी हमे अच्छी लगी .. इस के लिए हम आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!@Anil Avtaar
ReplyDeleteआप सभी का भी बहुत बहुत धन्यवाद @ वन्दना जी , @ अतुल श्रीवास्तव ,@ अनु जी , @ यशवंत माथुर जी ,@ सुषमा जी,@ ईं.प्रदीप कुमार साहनी, @ Maheshwari kaneri जी
आज के परिपेक्ष में सही चित्रण...
ReplyDeleteअब आपका ब्लोग यहाँ भी आ गया और सारे जहाँ मे छा गया। जानना है तो देखिये……http://redrose-vandana.blogspot.com पर और जानिये आपकी पहुँच कहाँ कहाँ तक हो गयी है।
ReplyDeletethanks for your answer
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