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Aug 11, 2011

friendship : दोस्ती

"जिन्दगी  जो  थी  इन्ही  के  नाम  रह  गयी ..... 
आज  -
एक  से  कदम - भर की दूरी  है  , तो दूसरा  दिल से दूर हो गया ....!!!"



मुझे प्यार जीत से ,
जिंदगी में कभी नही था ,
जब मुक्कदर में आयी ,
एक  हार  की  तरहा ,
तो  दोस्ती कर  बैठे !

जब जीत की आदत लगा बैठे ,
तो वो , हाथ छुडा , दूर जाकर बोली -
"तुझे  ख्वाहिश  जीत  की  कभी ,
जिंदगी  में  नही  थी ,
हार  की  हसरत  थी  तुझे ,
वो  मिल  गयी  ......"

तमाशे का नया ही अंदाज़ था ,
ख़ुशी  आने लगी थी - जाने लगी थी  , 
नए अंदाज़ में जीने लगे थे , मरने लगे थे !

मगर  हार से  पहले  और  जीत के बाद ,
जिंदगी  में नए  रंग भी  बिखरते  देखे ,
नए  लोगों  से मिल खुशी होने लगी ,
बंद  दीवारें  और बंद आसमान के साथ ,
तब बंद मुठी भी खुलने लगी ,
पंख , हसरतों और कामयाबी के मिले 
तो हम उड़ने लगे......
महक , मुरझाये फूलों से आने लगी 
मगर " जाने क्यूँ ? " का  सवाल  आता  रहा 
हैरान करता रहा ....
सोच बनती रही , बिगड़ती रही 
मुझे कुछ खोने का डर जिंदगी में कभी नही था 
मगर पाने की हसरत कर बैठे 
तो कया है ?...." खोने की तड़प "
बात ये तब समझ आयी  !



मुझे प्यार जीत से जिंदगी में कभी नही था ,
जब मुक्कदर में आयी ,
एक हार की तरहा , तो शिकायत कर बैठे!




ये कविता मैंने 
मेरे बेहद करीबी दोस्तों के लिए ......लिखी थी ! 

-ANJALI  MAAHIL



9 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया।


    सादर

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  2. बहुत ही प्रस्तुती....

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  3. दिल के सच्चे जज्बातों को बयां करती एक शानदार पोस्ट|

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  4. "तुझे ख्वाहिश जीत की कभी ,
    जिंदगी में नही थी ,
    हार की हसरत थी तुझे ,
    वो मिल गयी ......"

    Bahut sundar rachna Anjali Ji.. Poori mahsusiyat se likhi gai rachna.. badhai aur

    bahut-bahut shukriya lekhni ke safar mein mera saath dene ke liye..

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  5. उम्दा लेखन,खूबसूरत अभिव्यक्ति.
    कमाल की प्रस्तुति.वाह वाह, क्या बात है.

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  6. खुबसुरत भाव है कविता के। धन्यवाद।

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  7. खूबसूरती से लिखे जज़्बात

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  8. खूबसूरती जज़्बात सुन्दर प्रस्तुति...

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