"जिन्दगी जो थी इन्ही के नाम रह गयी .....
आज -
एक से कदम - भर की दूरी है , तो दूसरा दिल से दूर हो गया ....!!!"
जब मुक्कदर में आयी ,
एक हार की तरहा ,
तो दोस्ती कर बैठे !
तो दोस्ती कर बैठे !
जब जीत की आदत लगा बैठे ,
तो वो , हाथ छुडा , दूर जाकर बोली -
"तुझे ख्वाहिश जीत की कभी ,
जिंदगी में नही थी ,
हार की हसरत थी तुझे ,
वो मिल गयी ......"
तमाशे का नया ही अंदाज़ था ,
ख़ुशी आने लगी थी - जाने लगी थी ,
नए अंदाज़ में जीने लगे थे , मरने लगे थे !
मगर हार से पहले और जीत के बाद ,
जिंदगी में नए रंग भी बिखरते देखे ,
नए लोगों से मिल खुशी होने लगी ,
तब बंद मुठी भी खुलने लगी ,
पंख , हसरतों और कामयाबी के मिले
तो हम उड़ने लगे......
महक , मुरझाये फूलों से आने लगी
मगर " जाने क्यूँ ? " का सवाल आता रहा
हैरान करता रहा ....
सोच बनती रही , बिगड़ती रही
मुझे कुछ खोने का डर जिंदगी में कभी नही था
मगर पाने की हसरत कर बैठे
तो कया है ?...." खोने की तड़प "
बात ये तब समझ आयी !
मुझे प्यार जीत से जिंदगी में कभी नही था ,
जब मुक्कदर में आयी ,
एक हार की तरहा , तो शिकायत कर बैठे!
ये कविता मैंने
मेरे बेहद करीबी दोस्तों के लिए ......लिखी थी !
-ANJALI MAAHIL
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
bahut sunder bhav..........
ReplyDeleteबहुत ही प्रस्तुती....
ReplyDeleteदिल के सच्चे जज्बातों को बयां करती एक शानदार पोस्ट|
ReplyDelete"तुझे ख्वाहिश जीत की कभी ,
ReplyDeleteजिंदगी में नही थी ,
हार की हसरत थी तुझे ,
वो मिल गयी ......"
Bahut sundar rachna Anjali Ji.. Poori mahsusiyat se likhi gai rachna.. badhai aur
bahut-bahut shukriya lekhni ke safar mein mera saath dene ke liye..
उम्दा लेखन,खूबसूरत अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकमाल की प्रस्तुति.वाह वाह, क्या बात है.
खुबसुरत भाव है कविता के। धन्यवाद।
ReplyDeleteखूबसूरती से लिखे जज़्बात
ReplyDeleteखूबसूरती जज़्बात सुन्दर प्रस्तुति...
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