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Aug 15, 2011

Indian Soldiers---"TRIBUTE"

15 अगस्त 1947 ....देश की आजादी का दिन..... जिस दिन के लिए जाने कितने भारतवासियों ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया ...! और उसके बाद भी क़ुरबानी का ये
सिलसिला थमा नही ...... आज भी सरहदों पर हमारे सैनिक अपने देश की सेवा में अपनी जान देने से पीछे नही हटते...!
आज उन्ही शहीदों को एक छोटी सी श्रधांजलि ...... , और उनके परिवारों को को एक छोटा
 सा ला .......
" भारत हमको जान से प्यारा है..सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है...सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है...भारत माँ की रक्षा में जीवन कुर्बान है ...! "






 मैं सरहद पर जो बैठा हूँ, 
 मजबूरी में ही तो बैठा हूँ , 
 छोड़ के कैसे सब आ जाऊं ?
 बता ....सब छोड़ के कैसे आ जाऊं ?




 हाँ , 
 याद मुझको भी तेरी आती है , 
और धीरे - धीरे आती है ,
जाने क्यूँ , रोने का भी वक़्त नही ?
मैं अब सरहद पर जो बैठा हूँ !


चढ़ता है जब नभ पे सूरज , 
india_lc.gif (42880 bytes)तेरे माथे की बिंदी लगता  है ,
रेत पर बैठी पवन चले तो ,
तेरी पायल लगती है , 
फिर एक गोली चलती है 
और तू गायब हो जाती है ,
एक आह सी दिल में उठती है 
मैं अब सरहद पर जो बैठा हूँ !
छोड़ के कैसे ..........आ जाऊं ?

रात की ठंडी - ठंडी लहरे ,
मुझको सिहरन देती हैं ,
रखकर हाथ में अपने  सर पर ,
जब हँसी को  तेरी सुनता हूँ ,
तब एक आंसू गिरता है ,
और मुझको गीला करता है ,
तब फिर एक गोली चलती है
और तू गायब हो जाती है ,
एक आह सी दिल में उठती है 

मैं अब सरहद पर जो बैठा हूँ !
छोड़ के कैसे ..........आ जाऊं ?



एक रोज लौट के आऊंगा ,
तीन रंग में मैं घिर जाऊंगा ,
सुन,
उस रोज़ तू राहें मत तकना ,
और मुझको गीला(आंसू ) मत करना !


जानु (जानता)  हूँ मैं , मेरे ख़त की राहें
तेरी आखें तकती हैं ......
पर मुझ पर मेरी माँ का ऋण है
सब छोड़ के कैसे आ जाऊं  ?
बता ......सब छोड़ के कैसे आ जाऊं ?

एक वादा करते जाता हूँ .
ख़त आधा छोड़े जाता हूँ ,
एक रोज़ मैं आकर ,
पूरा कर दूंगा !
फिर एक गोली चलती है ,
और सब गायब हो जाता है ,


मैं अब तक सरहद पर जो बैठा था ,
मज़बूरी  में ही तो बैठा था ...!


"आज लौट के घर को आऊंगा .....!"

Pls listen

याद में  उनकी ......एक दीप तो जला ही दो ......  
65वे स्वंतन्त्रता दिवस  की आप सभी को शुभकामनायें ....... 

-अंजलि माहिल 

11 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति ..देश की रक्षा करने वाले जवानो को सलाम

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  2. मार्मिक कविता...पढते-पढते पलके गीली हो गई हैं..भाव भी गहरे और शब्द चयन भी..देशभक्ति से ओत-प्रोत रचना साथ मे फोटो भी बडे प्रासंगिक चस्पा किए है आपने...

    आभार
    डॉ.अजीत

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  3. हम आज जो कुछ भी हैं इन वीरों की बदौलत ही हैं।
    स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाएँ।

    सादर

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  4. ajali ji really aapki iss kavita ne to dil ko chu liya, bahot hi acchi feeling ho rahi he jankar ki logo ko humare prblms ka ahsas abhi bhi he, ek jawan kis tarah apna jivan, apni jawani apna fam sab apne desh ke naam kardeta he, lekin dukh hota he jankar bahot jab hume roj corruption ke bareme sunane ko milta he...............,

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  5. उफ़ बेहद मार्मिक मगर सटीक चित्रण किया है।

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  6. स्वतंत्र दिवस पर ढेरों शुभकामनाएँ तथा वीर शहीदों को सलाम!

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  7. बहुत सुन्दर रचना,बहुत ही उम्दा प्रस्तुती
    स्वतंत्रता दिवस की बहुत शुभकामनायें.

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  8. बेहद मार्मिक और सटीक रचना ....

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  9. मार्मिक और सटीक रचना, अच्छी लगी , बधाई ....

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  10. बेहतरीन।
    उम्‍दा।
    शानदार।
    शहीदों की शहादत को सलाम।

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