" हम भी बनेंगे कलम "
उतारेंगे अहसासों को , जज्बातों को
हर मोड़ पर , ठहरे हालातों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!
रखेंगे अपनी सोच सभी ,
पक्ष -विपक्ष और विचारों को ,
फिर बदले नए हालातों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!
लिखेंगे "लहरें" - समंदर की ,
संग कश्ती और किनारों को ,
टकराकर टूटी चट्टानों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!
लिखेंगे अपने शब्दकोश नए ,
संग रचनाओ और भाषाओँ को,
देंगे स्वरूप नया " परिभाषाओं " को
हम भी जब बनेंगे कलम !!
रखेंगे अपनी सोच सभी ,
पक्ष -विपक्ष और विचारों को ,
फिर बदले नए हालातों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!
लिखेंगे "लहरें" - समंदर की ,
संग कश्ती और किनारों को ,
टकराकर टूटी चट्टानों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!
लिखेंगे बसंत की चंचल बहारों को ,
मरू के तपते इंसानों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!लिखेंगे अपने शब्दकोश नए ,
संग रचनाओ और भाषाओँ को,
देंगे स्वरूप नया " परिभाषाओं " को
हम भी जब बनेंगे कलम !!
लहरें =विचार , समंदर =आत्मा , कश्ती =राहें , मार्ग , किनारे =मंजिल , चट्टानों =रूढ़ियाँ
बसंत =ख़ुशी का समय,
सावन-घटा =दुःख का समय ,
शीत =वो वक्त जब जीवन में शून्य का अधिपत्य हो जाएँ , मरू =मुश्किलें
सावन-घटा =दुःख का समय ,
शीत =वो वक्त जब जीवन में शून्य का अधिपत्य हो जाएँ , मरू =मुश्किलें
-ANJALI MAAHIL
मरू के तपते इंसानों को ,
ReplyDeleteहम भी जब बनेंगे कलम !!
धीरे धीरे महसूस कर पा रही हूँ आपकी लेखनी की गहराई को ...
बहुत पकड़ है आपके लेखन में ...
उतारेंगे अहसासों को , जज्बातों को
ReplyDeleteहर मोड़ पर , ठहरे हालातों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !! waah! bhaut hi behtreen abhivaykti kalam ki....
लिखेंगे अपने शब्दकोश नए ,
ReplyDeleteसंग रचनाओ और भाषाओँ को,
बहुत बढ़िया।
सादर
खूबसूरत बिम्ब ले कर बहुत कुछ कह दिया ..अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteBehtarin bimb..sunder prastuti..badhayee ..mere blog per bhi aapka swagat hai
ReplyDeleteबढ़िया बिम्ब प्रयोग... सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसादर...
लिखेंगे अपने शब्दकोश नए ,
ReplyDeleteसंग रचनाओ और भाषाओँ को,
देंगे स्वरूप नया " परिभाषाओं " को
हम भी जब बनेंगे कलम !!
सुन्दर बिम्बों की सहायता से सजी खूबसूरत रचना
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई |
आशा
waah...
ReplyDeletemaine bhee koshish khee thee aisee hi ek
kalam ko apna bana kuch likh dene ki ek...
bahut sundar rachna...
''फिर बदले नए हालातों को
ReplyDeleteहम भी जब बनेंगे कलम.....''
बेहतरीन भाव।
सुंदर प्रस्तुति.......
शुभकामनाएं आपको..........
Bahut Sundar Rachna... Aabhar...
ReplyDelete♥
ReplyDeleteअंजलि माहिल(ममता)जी
सस्नेहाभिवादन !
बहुत सुंदर कविता लिखी है -
लिखेंगे "लहरें" - समंदर की ,
संग कश्ती और किनारों को ,
टकराकर टूटी चट्टानों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !!
लिखेंगे बसंत की चंचल बहारों को ,
सावन - घटा और शीत दबी आवाजों को ,
मरू के तपते इंसानों को ,
हम भी जब बनेंगे कलम !
आपने बिंब स्पष्ट कर दिए … आभार !
संयोग से मैं मरुवासी हूं :)
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुन्दर प्रतीकों के साथ अनुपम पोस्ट |
ReplyDeleteवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|