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Sep 18, 2011

तुमसे जुदा होकर !!

कभी गमो की दलदल में हम भी डूबे थे ,
अब निशां पड़ेंगे , सुखों की सूखी जमीं पर ,
तुमसे जुदा होकर !!

कभी मुद्तों -मुद्तों भीगे आँखों की बारिश में हम भी थे  
अब मुस्कुराहटों का दौर है ,
तुमसे जुदा होकर !!

कभी हम राह से भटके  , तो कभी चलना भी भूले थे,
अब संग चलने लगी हैं मंजिले ,
तुमसे जुदा होकर !!

कभी तेरे पाँव में चाँद , तो कभी तारे भी गिरे थे ,
अब विदा तहां - भिक्षुक  रात हुई ,
तुमसे जुदा होकर !!

कभी शामिल हुए , तो कभी खुद को खो दिया तुझमे ,
अब लेने लगी है " पहचान " एक शक्ल ,
तुमसे जुदा होकर !!

कभी जिंदगी जीते थे , हर तेरी याद में " साहिब! " ,
अब किस्तों में सुकून से कटती हैं ये जिंदगी ,
तुमसे जुदा होकर !!

कभी जंगले पर तेरे, निगाह दिन-ओं- रात रखते थे ,
अब टांग दिया हैं पर्दा,
तुमसे जुदा होकर !!

कल उस युग में जीते थे , कि हासिल कुछ नही आया ,
अब सब सीख लिया हमने,
तुमसे जुदा होकर !!

-ANJALI MAAHIL 

जंगले = खिडकी 

11 comments:

  1. कभी जिंदगी जीते थे , हर तेरी याद में " साहिब! " ,
    अब किस्तों में सुकून से कटती हैं ये जिंदगी ,
    तुमसे जुदा होकर !no words.............

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  2. बहुत कुछ सीखना पड़ता है ... जुड़ा हो कर ही सही ..हकीकत यही है

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  3. Bahut hi bhavpurna rachna Anjali Ji.. Aabhar...

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  4. गजब का लिखा है आपने।

    सादर

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  5. बहुत सुन्दर भावो को उकेरा है।

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  6. कल उस युग में जीते थे , कि हासिल कुछ नही आया ,
    अब सब सीख लिया हमने,
    तुमसे जुदा होकर !! bhaut hi kuch sikhna hai....

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  7. कभी जंगले पर तेरे, निगाह दिन-ओं- रात रखते थे ,
    अब टांग दिया हैं पर्दा,
    तुमसे जुदा होकर !!बढ़िया....जुदा होकर जीना जितना जल्द सीख लिया जाये उतना बेहतर

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  8. बहुत सुन्दर भावो को उजागर किया है..बहुत सुन्दर....

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  9. सुभानाल्लाह........बहुत खूबसूरत........जिंदगी में गिर कर संभलना ही पड़ता है नहीं तो जिंदगी हर कदम नयी ठोकर मारती है|

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  10. जुदा हो कैसे संभला जाता है ये सीख दे गई आपकी कविता..आपके ज़ज्बे को सलाम अंजलि जी...!!!
    डॉ.अजीत

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  11. ..... तुमसे जुदा होकर
    गहरे जज्‍बात।
    बेहतरीन शब्‍द संयोजन।
    शुभकामनाएं.............

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